Reluctant Writer
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Writes about fictitious reality.

वक़्त की आवाज़

वक़्त की आवाज़
Image Source: Google

वो वक़्त की आवाज़ थी
अब ये वक़्त की ही आवाज़ है,
हम मुसाफिर चल पड़े
जिधर की आवाज़ सुनी।

वक़्त मुझसे जो करा ले
हम वक़्त के गुलाम हैं।

न तेरा कोई दोष है
न मेरा कोई दोष है,
ये वक़्त की आवाज़ है।