श्रद्धांजलि

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इस संसार को तुम्हें छोड़े
छः वर्ष बीत चला, और मैं,
वहीँ का वहीँ खड़ा रह गया।
वक़्त निकला, लम्हा निकला,
लोग-बाग भी आये
और चले गए।
छः वर्ष बीत चला, और मैं,
वहीँ का वहीँ खड़ा रह गया।
होली मनाई,
दिवाली मनाई,
दशहरा भी मना लिया
लेकिन मन को कैसे मनाऊं
अभी तक कुछ पता न चला।
छः वर्ष बीत चला, और मैं,
वहीँ का वहीँ खड़ा रह गया।