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श्रद्धांजलि

इस संसार को तुम्हें छोड़े छः वर्ष बीत चला, और मैं, वहीँ का वहीँ खड़ा रह गया। वक़्त निकला, लम्हा निकला, लोग-बाग भी आये और चले गए। छः वर्ष बीत...

मैं स्थिर हूँ और तुम गतिमान

शाहीर ने अपने पुराने दफ़्तर को अल्पविराम दे दिया है। कुछ समय बीत चुके हैं उसे नौकरी को अलविदा कहे हुए। एक माह आराम करने के पश्चात् शाहीर अब फिर...

किताबों में मिली मुझे मेरी क़ायनात

जब सारे प्रयास हो गए निरर्थक थक हार कर बैठा मैं और लगा सोचने, जीवन में है सब कुछ व्यर्थ तब किताबों ने बतलाया कि क्या है जीवन का असली...

पहचान तेरी बननी है बाकी

जिन इच्छाओं को तू आज तक दबाकर रखा है, कल वो खुद-व-खुद पूरी हो जाएगी। बस कुछ और देर सब्र कर ले ये इच्छाओं की क्षुधा भी मीट जाएगी। जो...

अलविदा शहर

अनगिनत अनजाने लोगों की भीड़, जहाँ अपनों का फटकार मिला तो वहीं किसी अज़नबी ने हाथ थामा और उसका सहारा मिला। किराये के माकन में, एक घर होने का एहसास।...

फूल की आत्मकथा

भाग - 1 : आगमन कई साल पहले की बात है, एक नगर में एक माली और उसके परिवार जन रहते थे। घर के आँगन एवं दरवाजे के आगे हरी-भरी...