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अंतर्द्वंद का चित्र

पहचान पाने को निकला मैं छोड़ अपने घर, शहर की ओर। सफलता थी कोसो दूर तब असफलताओं ने थामा दामन मेरा। हिम्मत हो गयी थी चूर अँधेरा भी दिन के...

क्या ये सम्भव है ?

ये जो चार दिन की छुट्टी में चौबीस साल की यादें कैद करना चाहते हो तुम क्या ये सम्भव है ? जो जी लिया जो लिया, अब जो हो रहा...

मेरा कर्म क्यों हुआ निष्फल ?

हारा हुआ मन, उदास आँखें, ह्रदय के खिड़की से झाँकती छिपी हुई, एक टूटी आस। पग-पग डगमगाता आत्मविश्वास, संदेह से भरा हर एक प्रयास। भीतर सुलगती एक आत्मदया की आग...

श्रद्धांजलि

इस संसार को तुम्हें छोड़े छः वर्ष बीत चला, और मैं, वहीँ का वहीँ खड़ा रह गया। वक़्त निकला, लम्हा निकला, लोग-बाग भी आये और चले गए। छः वर्ष बीत...

मैं स्थिर हूँ और तुम गतिमान

शाहीर ने अपने पुराने दफ़्तर को अल्पविराम दे दिया है। कुछ समय बीत चुके हैं उसे नौकरी को अलविदा कहे हुए। एक माह आराम करने के पश्चात् शाहीर अब फिर...

किताबों में मिली मुझे मेरी क़ायनात

जब सारे प्रयास हो गए निरर्थक थक हार कर बैठा मैं और लगा सोचने, जीवन में है सब कुछ व्यर्थ तब किताबों ने बतलाया कि क्या है जीवन का असली...