क्या ये सम्भव है ?
ये जो चार दिन की छुट्टी में
चौबीस साल की यादें
कैद करना चाहते हो तुम
क्या ये सम्भव है ?
जो जी लिया जो लिया,
अब जो हो रहा है
उसे जीओ,
गुज़रे पलों को फिर से जीना
क्या ये सम्भव है ?
अतीत तुम क्यों इतना याद आते हो ?
कभी ख़ुशी तो कभी गम
देकर चले जाते हो।
मैं डरता नहीं
भविष्य की सीढ़ियों से,
लेकिन मत बाँधो मुझे अब और
यादों की बेड़ियों में।
वर्तमान को जीना
क्या ये सम्भव है ?
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