Reluctant Writer
Reluctant Writer
Writes about fictitious reality.

अंतर्द्वंद का चित्र

अंतर्द्वंद का चित्र
Of course it is happening inside your head, Harry,
but why on earth should that mean that it is not real ? — J.K. Rowling
[Image Source: Google]

पहचान पाने को निकला
मैं छोड़ अपने घर,
शहर की ओर।

सफलता थी कोसो दूर
तब असफलताओं ने
थामा दामन मेरा।

हिम्मत हो गयी थी चूर
अँधेरा भी दिन के उजाले
में डराने लगा था।

अकेलेपन ने कस कर
जकड़ लिया
रोम रोम टूट गया।

बची न थी कोई आस
एक क्षण को लगा
की काश —
कोई होता मेरे आसपास।

मन को टटोला तो
मिले कुछ लम्हें ख़ास,
कुछ लोग याद आये,
कुछ किस्से, कहानियाँ याद आईं।

यादों से बनी माला को जब
छूने का किया प्रयास
तब बीते लम्हें,
छलक गए मोती बनकर
मेरी आँखों से।

मन हताशा से भर गया
और ह्रदय —
ह्रदय फूट-फूट कर
एक छोटे बच्चे की
भाँती बिलख पड़ा।

मन के दूसरे कोने में बैठ, मैं ये सारी घटना को देख रहा था।